साथ रहकर पता पड़ा तेरे आने की जब ख़बर महके तेरी खुशबू से सारा घर महके ज़िक्र खुशबू है हिज्र में तेरा हमसफर तू हो तो, सफर महके शाम महके तेरे तसव्वुर से शाम के बाद फिर सहर महके रात भर सोचता रहा तुझको ज़हनो-दिल मेरे रात भर महके याद आए तो दिल मुनव्वर हो दीद हो जाए तो नज़र महके वो घड़ी दो घड़ी जहां बैठे वो ज़मीं महके वो शजर महके जिनको वाबस्तगी रही तुझसे वो ही अल्फ़ाज़ उम्र भर महके जो रवाना हुए तेरी जानिब उन परिंदों के बालो- पर महके ~डॉ नवाज़ देवबन्दी ©M Ali Siddiqui जिस शब्द का मतलब न पता हो कमेंट करें #AdhureVakya