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अरसा बीत गया घर छोड़े, गाँव गली सबसे मुँह मोड

अरसा  बीत गया  घर छोड़े, 
गाँव गली  सबसे  मुँह मोड़े,

निकल पड़ा रोजी तलाशने,
पग-पग  खाते संघर्ष थपेड़े,

कठिन समस्या  ने आ घेरा, 
बादल बन  घिर आए घनेरे,

वक़्त पे साथ  न देता कोई, 
मिल  जाते   साथी  बहुतेरे,

याद  बहुत  आते हैं  अपने, 
परदेशी   मन   शाम  सवेरे,

सफर में  कट जाती हैं रातें,
भूल  गये  सब   रैन  बसेरे,

पीड़ा कोई न समझे 'गुंजन',
विरह में मन को साँप डँसे रे,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #अरसा बीत गया#
अरसा  बीत गया  घर छोड़े, 
गाँव गली  सबसे  मुँह मोड़े,

निकल पड़ा रोजी तलाशने,
पग-पग  खाते संघर्ष थपेड़े,

कठिन समस्या  ने आ घेरा, 
बादल बन  घिर आए घनेरे,

वक़्त पे साथ  न देता कोई, 
मिल  जाते   साथी  बहुतेरे,

याद  बहुत  आते हैं  अपने, 
परदेशी   मन   शाम  सवेरे,

सफर में  कट जाती हैं रातें,
भूल  गये  सब   रैन  बसेरे,

पीड़ा कोई न समझे 'गुंजन',
विरह में मन को साँप डँसे रे,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #अरसा बीत गया#