आओ सलमा ######### आओ सलमा हम दोनो होली खेले , चलो रंगों की दुनिया में खो जाएं , हम दोनों अकेले अकेले । आओ सलमा हम दोनो होली खेलें ।। फखरुद्दीन को छोड़ो , समसुद्दीन को छोड़ो , मोहब्बत का पैगाम भेजा हूं मैं सनातन वीर , बदल दूंगा मैं तुम्हारे मोहब्बत का तकदीर । आओ प्यार प्यार का खेल खेलें , आओ सलमा हम दोनों होली खेलें ।। नहीं तीन तलाक का कदमो में कोई बेड़ा , नहीं जिंदगी में कोई और बखेड़ा , चलो अपने अब्बू मम्मी से कह दो , बांध दे मेरे सर पर तुम्हारे प्यार का सेहरा ।। मैं बहत्तर हूर का कोई दीवाना नहीं , मैं सनातन अपनी संस्कृति से हूं अंजाना नहीं , आओ तुम्हें सत्य का गीता और पुराण पढ़ाऊं , आओ धर्म का सच मैं तुझे समझाऊं । अब मैं तुम्हारे साथ हूं तुम नहीं हो अकेले , आओ सलमा हम दोनों होली खेलें ।। रंग - गुलाल में डूब जाऊं साथ तुम्हारे , कच्चे धागों में बंध जाऊं मैं साथ तुम्हारे , चलो रंगों की दुनिया में खो जाएं , हम दोनों अकेले - अकेले , आओ सलमा हम दोनों होली खेलें ।। ******************************* प्रमोद मालाकार की कलम से ************************* ©pramod malakar # होलिका दहन