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आओ सलमा ######### आओ सलमा हम दोनो होली खेले ,

आओ सलमा
#########
आओ  सलमा  हम  दोनो  होली  खेले ,
चलो   रंगों   की  दुनिया  में  खो  जाएं ,
हम     दोनों    अकेले    अकेले ।
आओ  सलमा  हम  दोनो  होली  खेलें ।।
फखरुद्दीन   को छोड़ो , समसुद्दीन  को छोड़ो ,
मोहब्बत   का  पैगाम  भेजा  हूं  मैं   सनातन  वीर ,
बदल  दूंगा मैं  तुम्हारे मोहब्बत का तकदीर ।
आओ  प्यार प्यार  का  खेल  खेलें ,
आओ  सलमा  हम  दोनों  होली   खेलें ।।
नहीं तीन तलाक का  कदमो में कोई बेड़ा ,
नहीं  जिंदगी  में  कोई और बखेड़ा ,
चलो  अपने  अब्बू  मम्मी  से  कह दो  ,
बांध दे मेरे सर पर तुम्हारे प्यार का सेहरा ।।
मैं   बहत्तर   हूर   का   कोई   दीवाना    नहीं ,
मैं सनातन अपनी संस्कृति से हूं  अंजाना नहीं ,
आओ  तुम्हें सत्य का गीता और पुराण पढ़ाऊं ,
आओ    धर्म     का   सच   मैं   तुझे   समझाऊं ।
अब  मैं  तुम्हारे   साथ  हूं  तुम  नहीं  हो अकेले ,
आओ    सलमा   हम    दोनों   होली    खेलें ।।
रंग - गुलाल    में  डूब  जाऊं   साथ  तुम्हारे ,
कच्चे धागों में बंध जाऊं मैं साथ तुम्हारे ,
चलो रंगों की दुनिया में खो जाएं ,
हम दोनों अकेले - अकेले ,
आओ सलमा हम दोनों होली खेलें ।।
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प्रमोद मालाकार की कलम से
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©pramod malakar # होलिका दहन
आओ सलमा
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आओ  सलमा  हम  दोनो  होली  खेले ,
चलो   रंगों   की  दुनिया  में  खो  जाएं ,
हम     दोनों    अकेले    अकेले ।
आओ  सलमा  हम  दोनो  होली  खेलें ।।
फखरुद्दीन   को छोड़ो , समसुद्दीन  को छोड़ो ,
मोहब्बत   का  पैगाम  भेजा  हूं  मैं   सनातन  वीर ,
बदल  दूंगा मैं  तुम्हारे मोहब्बत का तकदीर ।
आओ  प्यार प्यार  का  खेल  खेलें ,
आओ  सलमा  हम  दोनों  होली   खेलें ।।
नहीं तीन तलाक का  कदमो में कोई बेड़ा ,
नहीं  जिंदगी  में  कोई और बखेड़ा ,
चलो  अपने  अब्बू  मम्मी  से  कह दो  ,
बांध दे मेरे सर पर तुम्हारे प्यार का सेहरा ।।
मैं   बहत्तर   हूर   का   कोई   दीवाना    नहीं ,
मैं सनातन अपनी संस्कृति से हूं  अंजाना नहीं ,
आओ  तुम्हें सत्य का गीता और पुराण पढ़ाऊं ,
आओ    धर्म     का   सच   मैं   तुझे   समझाऊं ।
अब  मैं  तुम्हारे   साथ  हूं  तुम  नहीं  हो अकेले ,
आओ    सलमा   हम    दोनों   होली    खेलें ।।
रंग - गुलाल    में  डूब  जाऊं   साथ  तुम्हारे ,
कच्चे धागों में बंध जाऊं मैं साथ तुम्हारे ,
चलो रंगों की दुनिया में खो जाएं ,
हम दोनों अकेले - अकेले ,
आओ सलमा हम दोनों होली खेलें ।।
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प्रमोद मालाकार की कलम से
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©pramod malakar # होलिका दहन

# होलिका दहन #कविता