मेरी चेतना का ऊपरी भाग सुशुप्त है इसीलिए मुझे निस्सीमता कही नजर नहीआ रही थीं ...... ज़ो समृद्धि मैंने अर्जित की थीं उसमे मेरी कोई दिलचस्पी भी नही थीं हाँ कीर्ति का तापमापक यंत्र गुदगुदाता है अवश्य मुझे और इसीलिए मेरी बची खुची चेतना. भी. भाव विभोर हो जाया करती थीं. अब मेरी चेतना में कभी जागरण हो पायेगा..भविष्य में . इसकी कोई सम्भावना भी मुझे दिख नही रही थीं ©Parasram Arora चेतना और जागरण चेतना और जागरण