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स्वतंत्र पत्रकारिता दिवस ******* बड़ा दिलचस्प हो गय

स्वतंत्र पत्रकारिता दिवस
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बड़ा दिलचस्प हो गया पत्रकारिता
हर खबर पर नजरिया दो होता है
एक कहता आमुख पार्टी बहुत अच्छी है
दूसरा कहता इससे बुरा कोई हो ही नही सकता
एक ही खबर करने जाते दो लोग
जिसकी सेट हुई भाषा बदल गयी
मीडिया के भी दो प्रकार हो गए है
एक सत्ता की पक्षकार गोदी मीडिया
दूसरा विपक्ष की पैरोकार बिद्रोही मीडिया
हद तो तब हो जाती है जब रेट
एक दूसरे का बताया जाता है
ये हाल कस्बे से लेकर से राजधानी तक है
भला ये कौन सा चाल चरित्र है
वर्तमान पत्रकारिता की
जहा पत्रकार संदेह की जद में है
पत्रकारिता का पेशा सवालो में
हो सके तो बचा लेना इस पेशे की गरिमा को
कम से कम आज इतना सोच लो काफी है
जो जमीर जिंदा है तो समझो पत्रकारिता जिंदा है
वरना वो दिन दूर नही जब लोग कहेंगे
ये भी एक धंधा है हा धंधा है

©ranjit Kumar rathour
  फ्री प्रेस डे
#स्वतंत्र पत्रकारिता

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