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आज भी याद है गांव का पोखर जिसमें बारिश के मौसम में

आज भी याद है गांव का पोखर जिसमें बारिश के मौसम में नहाया करते थे 
थम जाती जब बारिश तो उस ऊँचे टीले पर हम साथी फिसलने जाया करते थे 
ना जाने कहाँ खो गया वो बचपन इस सयानेपन की आँधी में 
कि नींद अक्सर पळवेटों में खेलते आती थी पर सुबह खुद को बिस्तर पर पाया करते थे 
भूल गया था मैं वक्त के इम्तिहानों की जद्दोजहद में अपना "स्वरूप "
आज जब "परी" की मुस्कान देखी तो याद आया हम भी मुस्कुराया करते थे परी की मुस्कान
आज भी याद है गांव का पोखर जिसमें बारिश के मौसम में नहाया करते थे 
थम जाती जब बारिश तो उस ऊँचे टीले पर हम साथी फिसलने जाया करते थे 
ना जाने कहाँ खो गया वो बचपन इस सयानेपन की आँधी में 
कि नींद अक्सर पळवेटों में खेलते आती थी पर सुबह खुद को बिस्तर पर पाया करते थे 
भूल गया था मैं वक्त के इम्तिहानों की जद्दोजहद में अपना "स्वरूप "
आज जब "परी" की मुस्कान देखी तो याद आया हम भी मुस्कुराया करते थे परी की मुस्कान

परी की मुस्कान #शायरी