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संघर्ष-धूप! में मुरझाते हुए देखा है कुछ पौधों को म

संघर्ष-धूप! में मुरझाते हुए
देखा है कुछ पौधों को मैंने...

जिन पौधों की परवरिश
सिर्फ़ शीतलता में हो जाती है..!

तपिशे-जिंदगी सहकर भी
फूलों-सा मुस्कुराओं मेरे दोस्तों...

जीने-मरने के लिए महज़ यह
कमबख़्त! जिंदगी एक होती है..!

कर्मवीर बनों हे पथ के राहगीर
कर्महीनता पर तो किस्मत रोती है.. 

अनल बे-असर है शीतल अनिल
जहां में सुकर्मों की खुशबू होती है..!

©Anil Ray
  #Khilna #life #Flower #Anil_Ray