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जब मैंने चांद,तारों,पेड़,पर्वत मिट्टी खेत ,फसल और

जब मैंने
चांद,तारों,पेड़,पर्वत मिट्टी खेत ,फसल और बाढ़
बारिश,धूप,पौधे और झाड़ से प्रेम किया तब
मैं दूर हो गया अपने कुटुंब से ,पिता से 
और उनके समाज की संबद्धता से
क्या संभव है की मैं 
प्रकृति और परिजनों से एक ही साथ
प्रेम कर पाऊं और दोनो को बचा पाऊं
जब मैं बैठा होता हूं, पिता के स्नेह के नीचे
तो वो मेरी भूख के लिए एक पेड़ काट देते है
और फिर हम दोनो आ जाते है खुले आसमान के नीच

©Sultan Mohit Bajpai
  पिता:
जब मैंने
चांद,तारों,पेड़,पर्वत मिट्टी खेत ,फसल और बाढ़
बारिश,धूप,पौधे और झाड़ से प्रेम किया तब
मैं दूर हो गया अपने कुटुंब से ,पिता से 
और उनके समाज की संबद्धता से
क्या संभव है की मैं 
प्रकृति और परिजनों से एक ही साथ

पिता: जब मैंने चांद,तारों,पेड़,पर्वत मिट्टी खेत ,फसल और बाढ़ बारिश,धूप,पौधे और झाड़ से प्रेम किया तब मैं दूर हो गया अपने कुटुंब से ,पिता से और उनके समाज की संबद्धता से क्या संभव है की मैं प्रकृति और परिजनों से एक ही साथ #News #SAD #poem #कविता #nojotohindi #WoRaat #nojotoLove #nojotoenglish #sultan_mohit_bajpai

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