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White तकिए पर सिर रखकर, आसमान की ओर देखता हूँ, सित

White तकिए पर सिर रखकर,
आसमान की ओर देखता हूँ,
सितारों की महफ़िल में,
ख़्वाबों की चिट्ठियाँ पढ़ता हूँ।हर करवट में,
एक नया सपना पलता है,
कभी अधूरा,
कभी पूरा सा लगता है।रात यूँ ही निकल जाती है,
करवट बदल बदल कर,
सपनों की सैर में,
दिल के बंद दरवाज़े खोल कर।सुबह होती है,
एक नई उम्मीद के साथ,
लेकिन रात की करवटें,
दिल में छुपी रह जाती हैं।

©aditi the writer
  #Thinking #रात  Raj Sabri  Kumar Shaurya  shraddha.meera  Kundan Dubey  Da "Divya Tyagi"