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भरम मिटाकर, हाथ पकड़कर, खींच कर दलदल से, जो बाहर

भरम मिटाकर, 
हाथ पकड़कर, 
खींच कर दलदल से,
जो बाहर लाता है। 
उसका नाम भर सुकून है
जो हर हालत में
साहस दिलाता है।
मेरा ईमान, मेरा धरम,
मेरी पूजा, मेरा करम, 
उसके सहारे आता है।
मेरा सब सही उसका
मेरी हर गलती मेरी,
मेरी हर साँस कर्ज़ उसपे,
उसका एहसास ज़िंदगी मेरी।

©Ananta Dasgupta #shivaay #anantadasgupta  hindi poetry deep poetry in urdu
भरम मिटाकर, 
हाथ पकड़कर, 
खींच कर दलदल से,
जो बाहर लाता है। 
उसका नाम भर सुकून है
जो हर हालत में
साहस दिलाता है।
मेरा ईमान, मेरा धरम,
मेरी पूजा, मेरा करम, 
उसके सहारे आता है।
मेरा सब सही उसका
मेरी हर गलती मेरी,
मेरी हर साँस कर्ज़ उसपे,
उसका एहसास ज़िंदगी मेरी।

©Ananta Dasgupta #shivaay #anantadasgupta  hindi poetry deep poetry in urdu
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Ananta Dasgupta

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