छोटे गलतियां करते ही है, इसलिए नहीं की वो नासमझ होते है या खुद को बड़ा समझते है बल्कि इसलिए क्योंकी छोटो को गलतियां करने का अधिकार होता है उनकी नियति होती है वो बड़ों के सामने गलतियां करें, और उनकी ज़िद होती है बड़े उनकी गलतियों को माफ करें या उपेक्षा करें, स्वाभावित ये दुलार होता है लेकिन एक उम्र के बाद ये दुलार एक ज़िद या ढीठ पन बन जाता है जिसे आप वक्त या समय की मांग भी बोल सकते है... फिर भी अगर थोड़ा सहज और विनम्र होकर सोचा जाएं तो उनकी गलतियों को सुधारा जा सकता है बड़ों की कोशिशों से, हां कुछ अपवादों को छोड़कर.... लेकिन अगर बड़े हमेशा एक ज़िद पकड़ ले उन्हे वही करना है जो छोटे करते है एक बदले की भावना या जैसे तो तैसा जैसी मानसिकता कभी भी किसी भी समस्या से निजात नहीं है.... हमारा धर्म हमेशा छोटो को बड़ों के आगे झुकना सिखाता है लेकिन बड़ों को ह्रदय से झुक जाने के योग्य बनाता है ताकि उन्हें ये ध्यान रहे , ह्रदय का स्थान सदैव पैरो से ऊपर होता है क्योंकि वो बड़े है तो उन्हें ह्रदय में धैर्य नम्रता और धीर रखना ही पड़ेगा..... यकीन मानिए परिस्थितियां कितनी भी विकट क्यो न हो, अगर बड़ा स्वाभाविक झुक जाएं तो बड़ी से बड़ी दुविधाएं और जटिलताएं आसान हो जाती है लेकिन अगर इसके विपरीत छोटा झुकता है तो बड़े के गुरुर में भले ही बढ़ोत्तरी हो जाएं लेकिन उसके सम्मान में कभी भी छोटो के अंदर वो भाव नहीं आएगा क्योंकि सम्मान कभी पैरो से नही होता ह्रदय से होता है ।। ह्रदय में हमेशा व्यक्तित्व का वास होता है अर्थात बड़ी बातो का ही वास होता है ।। ©पूर्वार्थ #गलतियां #नासमझ #नोजोटोहिंदी