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मर्द क्यूँ रोए नही जब दर्द एक है तो क्यू आंखे बिग

मर्द क्यूँ रोए नही
 जब दर्द एक है तो क्यू आंखे बिगोये नही 
बचपन से सिखाया बेटा तू मर्द है रोना नही 
 सीना मर्द का क्या  जुदा भगवान ने बनाया है
आखिर क्यूं ना रोए जब दर्द जुदा ना बनाया 
मर्द क्यू रोए नही 
हालातों पर रोना मर्द को भी आया 
खुद के फर्ज के पीछे हर दर्द छिपाया 
मजबुर हो कर भी हर फर्ज निभाया 
तू मर्द है तुझे रोना नही 
तू कमजोर नही तू फोलद है 
औरत जैसा आंखे बिगोना नही 
क्यू मर्द नही रोए 
 जब दर्द है  एक क्यू आंखे नही बिगोये 
जज्वात है तो जाहिर क्यू ना करे 
दिखावे भरी इस दुनिया मै पल पल मरे 
क्यूँ मर्द नही रोए 
चुप रहे ओर सब सहन करे 
पल पल घुटे फिर भी खुद मै खोये 
क्यूँ मर्द नही रोए नही

©POONAM SHARMA
  #मर्द