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कभी अल्फाज कम थे बयां ज़िन्दगी के लिए, तो खामोशी ह

कभी अल्फाज कम थे बयां ज़िन्दगी के लिए,

तो खामोशी हमने खुद ही चुन ली,

क्या बात करे जमाने के किस्सों से,

जब दोस्ती हमने किताबों से कर ली।।

©निष्ठा परिहार #बुक्स 

#lonely
कभी अल्फाज कम थे बयां ज़िन्दगी के लिए,

तो खामोशी हमने खुद ही चुन ली,

क्या बात करे जमाने के किस्सों से,

जब दोस्ती हमने किताबों से कर ली।।

©निष्ठा परिहार #बुक्स 

#lonely