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तुमने ज़रूर, जुल्फें खोलकर अपनी हवा में लहराई है,

तुमने ज़रूर, जुल्फें खोलकर अपनी हवा में
लहराई है,
शायद तभी ये बदलियाँ छायी हैं!

गुजरे हो तुम शहर में जिधर से, वो सारी गलियाँ हमने भीगी पाई है।

©" शमी सतीश " (Satish Girotiya)
  #rainfall