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हम त्याग स्वाभिमानित मन, तेरे पास आए जितनी भी स्वप

हम त्याग स्वाभिमानित मन, तेरे पास आए
जितनी भी स्वप्न थे..., मन में हर्ष हर्ष गाए
हम तो समझ रहे थे , तुमने न रुचि दिखाई
हर बार लब पे दूरी...., हर बार इक सफाई
ना कोशिशें ही की तुमने.., ना ही समझ पाए
हम त्याग स्वाभिमानित मन.....    !!  हमने तुम्हें रख्खा उत्तुंग के शिखर पर
हमने तुम्हें था रख्खा उस प्रेम के प्रखर पर
पर तुमने हमको केवल गर्तों में लिप्त देखा
हर बार प्रेम का मन शर्तों में लिप्त देखा
तुमने हमें रखा है गिरती हुई नजर पर
हमने तुम्हें रखा था सम्मान के शिखर पर
ऐसा लगा तुम्हें फिर क्यों रूप रूप हारेगा
हर विसंगति संगत..., संगरूप धारेगा
हम त्याग स्वाभिमानित मन, तेरे पास आए
जितनी भी स्वप्न थे..., मन में हर्ष हर्ष गाए
हम तो समझ रहे थे , तुमने न रुचि दिखाई
हर बार लब पे दूरी...., हर बार इक सफाई
ना कोशिशें ही की तुमने.., ना ही समझ पाए
हम त्याग स्वाभिमानित मन.....    !!  हमने तुम्हें रख्खा उत्तुंग के शिखर पर
हमने तुम्हें था रख्खा उस प्रेम के प्रखर पर
पर तुमने हमको केवल गर्तों में लिप्त देखा
हर बार प्रेम का मन शर्तों में लिप्त देखा
तुमने हमें रखा है गिरती हुई नजर पर
हमने तुम्हें रखा था सम्मान के शिखर पर
ऐसा लगा तुम्हें फिर क्यों रूप रूप हारेगा
हर विसंगति संगत..., संगरूप धारेगा
saurabhmishra6084

saurabh

New Creator

हमने तुम्हें रख्खा उत्तुंग के शिखर पर हमने तुम्हें था रख्खा उस प्रेम के प्रखर पर पर तुमने हमको केवल गर्तों में लिप्त देखा हर बार प्रेम का मन शर्तों में लिप्त देखा तुमने हमें रखा है गिरती हुई नजर पर हमने तुम्हें रखा था सम्मान के शिखर पर ऐसा लगा तुम्हें फिर क्यों रूप रूप हारेगा हर विसंगति संगत..., संगरूप धारेगा #Death #of #yqdidi #desires