हमने तुम्हें रख्खा उत्तुंग के शिखर पर
हमने तुम्हें था रख्खा उस प्रेम के प्रखर पर
पर तुमने हमको केवल गर्तों में लिप्त देखा
हर बार प्रेम का मन शर्तों में लिप्त देखा
तुमने हमें रखा है गिरती हुई नजर पर
हमने तुम्हें रखा था सम्मान के शिखर पर
ऐसा लगा तुम्हें फिर क्यों रूप रूप हारेगा
हर विसंगति संगत..., संगरूप धारेगा #Death#of#yqdidi#desires