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आरुषि दत्ता :- अपनी शेरनी चेहरे पर रहती थी जिनके

आरुषि दत्ता :- अपनी शेरनी 

चेहरे पर रहती थी जिनके अंजानी सी मुस्कान ,
रहते थे कुछ अक्सर उसी बात से परेशान , 
अपने दम पर चलना जिसने सिखाया , 
अंत में कुछ ने मिल कर उससे रुलाया , 
लड़ती रही जो कभी ना कभी किसी से , 
फिर भी ना थमी वो जब तक ,
मंज़िल उसकी कही रूठ गयी उसी से , 
हारी नहीं हो आप ( शेरनी ) ,
बस ले कर जा रही हो हम सबका साथ , 
#SHERNI
आरुषि दत्ता :- अपनी शेरनी 

चेहरे पर रहती थी जिनके अंजानी सी मुस्कान ,
रहते थे कुछ अक्सर उसी बात से परेशान , 
अपने दम पर चलना जिसने सिखाया , 
अंत में कुछ ने मिल कर उससे रुलाया , 
लड़ती रही जो कभी ना कभी किसी से , 
फिर भी ना थमी वो जब तक ,
मंज़िल उसकी कही रूठ गयी उसी से , 
हारी नहीं हो आप ( शेरनी ) ,
बस ले कर जा रही हो हम सबका साथ , 
#SHERNI