आरुषि दत्ता :- अपनी शेरनी चेहरे पर रहती थी जिनके अंजानी सी मुस्कान , रहते थे कुछ अक्सर उसी बात से परेशान , अपने दम पर चलना जिसने सिखाया , अंत में कुछ ने मिल कर उससे रुलाया , लड़ती रही जो कभी ना कभी किसी से , फिर भी ना थमी वो जब तक , मंज़िल उसकी कही रूठ गयी उसी से , हारी नहीं हो आप ( शेरनी ) , बस ले कर जा रही हो हम सबका साथ , #SHERNI