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आज सुनाता हूँ तुम्हें, सुन लो ध्यान लगाकर पार्थ,

आज सुनाता हूँ तुम्हें, सुन लो ध्यान  लगाकर पार्थ,
इस पूरे समर में सब कल्पना है, सिर्फ मैं हूँ यथार्थ।
तू कहता है तू जीत कर भी, यह समर हार जाएगा,
मैं अगर ना चाहूँ तो, इक पत्ता भी ना हिल पाएगा।
इसलिए हे पार्थ तू अपना गांडीव संभाल, युद्ध कर,
सुशुप्त अवस्था को  जागृत कर, चेतना प्रबुद्ध कर।
तू नहीं  मारेगा इनको, फिर भी मृत्यु तो  निश्चित है,
धर्म अधर्म के  द्वंद्व में, धर्म की  जीत  सुनिश्चित है। अब आप सब को इसका जवाब अपने collab में देना है।

आप सबके जवाब की प्रतीक्षा में।

Font: Sharad 76 Regular

Lines: Max 6 lines
आज सुनाता हूँ तुम्हें, सुन लो ध्यान  लगाकर पार्थ,
इस पूरे समर में सब कल्पना है, सिर्फ मैं हूँ यथार्थ।
तू कहता है तू जीत कर भी, यह समर हार जाएगा,
मैं अगर ना चाहूँ तो, इक पत्ता भी ना हिल पाएगा।
इसलिए हे पार्थ तू अपना गांडीव संभाल, युद्ध कर,
सुशुप्त अवस्था को  जागृत कर, चेतना प्रबुद्ध कर।
तू नहीं  मारेगा इनको, फिर भी मृत्यु तो  निश्चित है,
धर्म अधर्म के  द्वंद्व में, धर्म की  जीत  सुनिश्चित है। अब आप सब को इसका जवाब अपने collab में देना है।

आप सबके जवाब की प्रतीक्षा में।

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