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सोचा की लिखुँ,दो लब्ज तेरे बारे मे, शायद कीरण मिले

सोचा की लिखुँ,दो लब्ज तेरे बारे मे,
शायद कीरण मिलेगी कोई, जिंदगी के अंधेरे में |
मगर..ना हाथो में हीम्मत है,ना दीलमे आरजू
डर है की आ न जाऊँ,प्यार वाले घेरे में 
सोचा की लिखूं दो लब्ज तेरे बारे मे ||
कागज पे लाना दील की बात..
आसान नही है इतना,
कुचले जाने के साथ जजबां,कुचला जा सकता है सपना,
दील में प्यार भरा है,लेकीन
अभी पहचान नही, कौन है गैर और कौन है अपना,
इसिलिए समझ लिया प्यार तेरे इशारे में
सोचा की लिखूं दो लब्ज तेरे बारे मे ||
ये माना की तुझे हुस्न का गुरुर है
जवानी का आलम है, आँखो मे सुरुर है,
अपना बनाने को तुम्हे मेरी जाँ
मुझसे भी जादा शायद,दील ये मजबूर है
ढुंढता हुँ जिंदगी,तेरी जुल्फो के सहारे में
सोचा की लिखूं दो लब्ज तेरे बारे मे ||
इसिलिए भी है जरुरी लिखना..
कि अंदाज बोलकर बताने का नही है अपना,
सामने आते ही तुम्हारे, लगता है जैसे
चाँद तुम्हारे जैसा,हो एक अपना,
ख्वाबो के आंगन में हो आशियाना
खो जाए जन्नत भी,प्यार के इस नजारे मे
सोचा की लिखूं दो लब्ज तेरे बारे मे ||

©Samadhan Navale #सोचता_हूँ 

#standAlone
सोचा की लिखुँ,दो लब्ज तेरे बारे मे,
शायद कीरण मिलेगी कोई, जिंदगी के अंधेरे में |
मगर..ना हाथो में हीम्मत है,ना दीलमे आरजू
डर है की आ न जाऊँ,प्यार वाले घेरे में 
सोचा की लिखूं दो लब्ज तेरे बारे मे ||
कागज पे लाना दील की बात..
आसान नही है इतना,
कुचले जाने के साथ जजबां,कुचला जा सकता है सपना,
दील में प्यार भरा है,लेकीन
अभी पहचान नही, कौन है गैर और कौन है अपना,
इसिलिए समझ लिया प्यार तेरे इशारे में
सोचा की लिखूं दो लब्ज तेरे बारे मे ||
ये माना की तुझे हुस्न का गुरुर है
जवानी का आलम है, आँखो मे सुरुर है,
अपना बनाने को तुम्हे मेरी जाँ
मुझसे भी जादा शायद,दील ये मजबूर है
ढुंढता हुँ जिंदगी,तेरी जुल्फो के सहारे में
सोचा की लिखूं दो लब्ज तेरे बारे मे ||
इसिलिए भी है जरुरी लिखना..
कि अंदाज बोलकर बताने का नही है अपना,
सामने आते ही तुम्हारे, लगता है जैसे
चाँद तुम्हारे जैसा,हो एक अपना,
ख्वाबो के आंगन में हो आशियाना
खो जाए जन्नत भी,प्यार के इस नजारे मे
सोचा की लिखूं दो लब्ज तेरे बारे मे ||

©Samadhan Navale #सोचता_हूँ 

#standAlone