ये जिंदगी भी बड़ी शातिर होती है, जब पुकारो बहानों में माहिर होती है नज़र फेर लो तो आ खड़ी होती है सामने इसी में उसकी खुदगर्जी, जाहिर होती है "चाहत" शायरी---शातिर जिंदगी