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बादलों का अब मिजाज बदल रहा हैं दुनियाँ वालों का

बादलों का  अब मिजाज बदल रहा हैं
दुनियाँ वालों का  रिवाज बदल रहा हैं

तन, मन की परेशानियाँ, घटती ही नहीं
सुकून के लिये इंसा, इलाज बदल रहा हैं

बाल रंग कर जवान रहने का नुक्शा पुराना हुआ
अब तो जमाना, अपनी आवाज़ बदल रहा हैं।

खुद को बेहतर करने का हुनर  न सीखा
इंसान  अपना जीने का अंदाज बदल रहा हैं।

©Kamlesh Kandpal
  #andaaz