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शिद्दत से याद आता है बरसात का मौसम, बाहों में बाहे

शिद्दत से याद आता है बरसात का मौसम,
बाहों में बाहें डाले होते थे कॉफ़ी और हम।
कॉफ़ी की चुस्कियों में आता था जो मज़ा,
अब उस को याद करना, बन गई है सज़ा।

©Amit Singhal "Aseemit"
  #कॉफ़ी #और #हम