आज साल ये ख़त्म होने को आया मेरे दिल में भी कुछ अजीब ख्याल आया बैठ सारा हिसाब लगाया आज का कल का हर एक पल का हर रिश्ते हर नातो का मेरे सारे प्रयासों का ... जब परिणाम निकला तो दंग रह गया.. अपनी ही आदतों से तंग रह गया .... पाया की मैंने तो सब से बफा किया सबको खुश रखा पर खुद को खफा किया.. कुछ लोगों ने खूब निभाया कुछ ने तो बस फायदा उठाया कुछ की नजरों में मेरी इज्जत बढ़ी.. कुछ लोगों की मुझसे बस जरूरत बढ़ी... सबकी नजरों में तो मैं अच्छा रह गया पर लोग पहचानने में मैं कच्चा रह गया.. अब एक सवाल मेरे जिहन में आयी है क्या सबके साथ अच्छा करना अच्छाई है ? वक़्त आ गया है थोड़ा बदलने का इस दुनिया के रंग में थोड़ा ढलने का.. अब अपने लिए थोड़ा ज्यादा प्रयास होंगे.. जिनके लिए खास हूँ बस वही खास होंगे.. मुझ पर बस सच्चे लोगों के अधिकार होंगे .. फायदा उठाने वाले अब अच्छे से दरकिनार होंगे . #year_end #gulshan_kumar_singh_poems #first_quote #first_poem