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तुम्हें मालूम है कि तुम कितनी नायाब हो इतनी की कोई

तुम्हें मालूम है कि तुम कितनी नायाब हो
इतनी की कोई भी नहीं ये नहीं कह सकता कि तुम ख़राब हो,
हां जानता हूं हम दोनो लगे हैं ज़िंदगी को उलझाने में
मगर तुम पर उदासी बिलकुल अच्छी नहीं तुम मुस्कुराओ क्योंकि कुछ नहीं जाता मुस्कुराने में,,




कुमार

©kumar Abhishek Bhartiya  शायरी लव रोमांटिक
तुम्हें मालूम है कि तुम कितनी नायाब हो
इतनी की कोई भी नहीं ये नहीं कह सकता कि तुम ख़राब हो,
हां जानता हूं हम दोनो लगे हैं ज़िंदगी को उलझाने में
मगर तुम पर उदासी बिलकुल अच्छी नहीं तुम मुस्कुराओ क्योंकि कुछ नहीं जाता मुस्कुराने में,,




कुमार

©kumar Abhishek Bhartiya  शायरी लव रोमांटिक