ज़िन्दगी तेरे भी खेल निराले,हमने मुसीबत की चाबी ढूंढी । तो तुमने ताले हि बदल डाले ।। अभी तकलीफ के साये से आगे बढ़ आये हैं। ठोकर खाकर हि सही अपनी कश्ती पार लाये थे।। इस हार जीत के जंजाल में हम ऐसे फसे । जब हार मिली तो गैरो के साथ,अपने भी हम पर हँसे शुक्र मनाओ कि हार से सच्चे दिल की हुई पहचान। मेरी जीत की तारीफ़ कर, मत करो मुझपर एहसान।। प्रयत्न जरुरी है, न करने से हो जाओगे गुमनाम। कोशिश के बाद मिली हार से न होगे बदनाम।। खोखली जीत में जशन् ,सच्ची हार में भी गम। समाज कि यही रित है ,थक कर हार न मानने में ही असली जीत है।। सच्चे दिल की आवाज़ बेकार नहीं जाती। सच्चे तालियाँ की बराबरी झूठी तारीफ नहीं कर पाती।। बहुत कुछ जान कर भी बन गये अनजान। जिंदगी आज भी तेरे खेल से हु परेशान।। मुद्दतो बाद अब सुकुन के पल आए है। अपने साथ हर मुसीबत के हल लाए है।। जिंदगी अब तु फिर से कोई खेल ना रचना। बस यही फरियाद है तु ऐसे ही रहना।। क्योंकि मै अपनी खौफ की हद में खड़ा हु। बुलंदी तक जाना है इस जिद पर अडा हु।। तेरे खेल से खफा नहीं अब ,क्योंकि तू जीने का सलीखा सीखा गई। इस चेहरे को आज तू आईना दिखा गई।। #90thpost #poetry #poetryaboutlife #scribbledthoughts #quotesbychaube