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दुनिया कहती है अल्फ़ाज़ जिसे ,वो पन्नो पर सजे ख़्वाब

दुनिया कहती है अल्फ़ाज़ जिसे ,वो पन्नो पर सजे  ख़्वाब हैं मेरे,
टूटकर बिखरे थे जो कभी , वो समेट कर रखे अहसास हैं मेरे ,

क़ैद  थे  जो  दिल  के  क़फ़स में , अब जाकर आज़ाद हुए हैं ,
पन्नो  के  खुले   आकाश  में विचरते ,स्वछंद से परवाज़ हैं मेरे,

जमे   हुए    थे     दिल   की ज़मीं पर ,कलम से खुरचा है इन्हें ,
तराश  कर  सजाया   है इन्हें , अब यही जीवन का सार है मेरे ,

कुछ छोटे छोटे टुकड़े थे जो टूटकर बिखरे थे ख़्वाबों की डाली से,
अब  अलंकृत  हैं  जो पन्नो पर ,यही अभिव्यक्ति का अंदाज़ है मेरे ,

जब  छायेंगें  फ़लक़ पर अल्फ़ाज़ ये , रोशन होंगे ये सितारों से,
कभी    चमकते  फूलों से   ,  कभी   यही  जमीं का चाँद है मेरे ।।
पूनम आत्रेय

©poonam atrey
  #बिखरे_अल्फ़ाज़ 
#पूनमकीकलमसे  Anil Ray Bhardwaj Only Budana -hardik Mahajan अदनासा- Noor Hindustanai  Mahi shashi kala mahto Utkrisht Kalakaari Navash2411 Saloni Khanna  Ravikant  Dushe  आसमाँ Kamlesh Kandpal Mili Saha शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन )  वंदना .... Raj Guru AD Grk Gyanendra Pandey Rakesh Srivastava  एक अजनबी Richa Mishra Sethi Ji Yogendra Nath Yogi Sana naaz.  बादल सिंह 'कलमगार' आशुतोष पांडेय (आशू) सनातनी हिंदू प्रबुद्ध ब्राह्मण समाज सेवा संस्थान भारत Praveen Jain "पल्लव" ANIL KUMAR,) Aditya kumar prasad  प्रज्ञा भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन jitendra sharma Anshu writer Sunita Pathania  PIYUSH kUMAR Kirti Pandey Deep Maaahi.. Madhusudan Shrivastava  Ashutosh Mishra अकेला मानव मनोज मानव पथिक.. खामोशी और दस्तक  Dikesh Kanani (Vvipdikesh) nishi_bhatnagarr हिमांशु Kulshreshtha Dil E Nadan परिंदा