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रूस वर्सेस 30+1 देश रशिया और यूक्रेन की लड़ाई असल

रूस वर्सेस 30+1 देश रशिया और यूक्रेन की लड़ाई असल में दो देशों के बीच में नहीं है यह लड़ाई रशिया और नाटो देशों के बीच में है जिनकी संख्या 30 है क्योंकि अमेरिका व्यापारी की भूमिका निभा रहा है तो वह खुलकर सामने नहीं आ रहा वह नीचे ही नीचे उसको बहुत ज्यादा मदद कर रहा है हर मामले में हथियारों में हो मेडिकल में हो या फिर अन्य हो इस करके रसिया उस पर विजय प्राप्त नहीं कर पा रहा मैं युद्ध नहीं कर पा रहा | इस लड़ाई की वजह रूस होकर अमेरिका है क्योंकि वह नाटो देशों की संख्या बढ़ा रहा है नाटो सिर्फ उत्तर दिशा की तरफ देशों का समूह था परंतु यह दूसरी दिशाओं में बढ़ाने के लालच में निकला अंजाम है जिसकी वजह से यह युद्ध आज इतना भीषण रूप ले रहा है अगर देखा जाए तो हम इसका एक उदाहरण देख सकते हैं यूक्रेन युद्ध से बच सकता था अगर वह किसी भी देश का पक्ष ना लेता और भारत की तरह गुटनिरपेक्ष नीति से चलता किसी भी देश का समर्थन नहीं करता जिस प्रकार से फिनलैंड देश ने नहीं किया था जब यह दोनों शक्तियां अपने वर्चस्व के लिए लड़ रही थी शीत युद्ध में ना ही उसने अमेरिका का समर्थन किया था और ना ही रूस का उसने साफ कहा था हम दोनों से रिश्ते रखेंगे और किसी के भी ग्रुप में नहीं जाएंगे तो आज तक नाही रसिया ने उस पर आक्रमण किया ना ही धमकी दी और जाहिर सी बात है अगर हमारे घर का कोई सदस्य है अलग रहता है और उसको कोई हमारा पुराना शत्रु अपने बस में करना चाहिए अपने अंदर मिलाना चाहे वहां पर वह खुद की मौजूदगी दिखाए तो ऐसा हम कैसे करने देंगे बोला कि वह हमसे अलग रहे वह बात संतुष्ट करती है कहीं ना कहीं परंतु शत्रु के साथ बैठना किसी को मंजूर नहीं होता अगर यूक्रेन यह गलती नहीं करता तो शायद उसके देश में आज भी यह हालात नहीं होते और ना ही उसके बच्चे मरते भूख से मरते ना बारूदी से मरते ना धमाकों की गूंज से मरते कहीं ना कहीं वहां का नेता भी जिम्मेवार है क्योंकि उसने दूसरे देशों की गरमा सर मैंने अपना खुद का घर उजाड़ दिया है और एक खंडहर कब्रिस्तान उजाड़ देश बना लिया है जहां पर कुछ नहीं बस टुकड़ों में पड़ी जिस्मों की माला मिलेगी |

रसिया वर्सेस नाटो

और बड़ी चालाकी से अमेरिका ने इसको वाडकराईम घोषित करना चाहा |

और आने वाली भूखमरी खाद्य समस्याओं की स्थिति को मैं सिर्फ एक अमेरिका की बेहतरीन चाल मानूंगा वही है इस सब का जिम्मेदार |
रूस वर्सेस 30+1 देश रशिया और यूक्रेन की लड़ाई असल में दो देशों के बीच में नहीं है यह लड़ाई रशिया और नाटो देशों के बीच में है जिनकी संख्या 30 है क्योंकि अमेरिका व्यापारी की भूमिका निभा रहा है तो वह खुलकर सामने नहीं आ रहा वह नीचे ही नीचे उसको बहुत ज्यादा मदद कर रहा है हर मामले में हथियारों में हो मेडिकल में हो या फिर अन्य हो इस करके रसिया उस पर विजय प्राप्त नहीं कर पा रहा मैं युद्ध नहीं कर पा रहा | इस लड़ाई की वजह रूस होकर अमेरिका है क्योंकि वह नाटो देशों की संख्या बढ़ा रहा है नाटो सिर्फ उत्तर दिशा की तरफ देशों का समूह था परंतु यह दूसरी दिशाओं में बढ़ाने के लालच में निकला अंजाम है जिसकी वजह से यह युद्ध आज इतना भीषण रूप ले रहा है अगर देखा जाए तो हम इसका एक उदाहरण देख सकते हैं यूक्रेन युद्ध से बच सकता था अगर वह किसी भी देश का पक्ष ना लेता और भारत की तरह गुटनिरपेक्ष नीति से चलता किसी भी देश का समर्थन नहीं करता जिस प्रकार से फिनलैंड देश ने नहीं किया था जब यह दोनों शक्तियां अपने वर्चस्व के लिए लड़ रही थी शीत युद्ध में ना ही उसने अमेरिका का समर्थन किया था और ना ही रूस का उसने साफ कहा था हम दोनों से रिश्ते रखेंगे और किसी के भी ग्रुप में नहीं जाएंगे तो आज तक नाही रसिया ने उस पर आक्रमण किया ना ही धमकी दी और जाहिर सी बात है अगर हमारे घर का कोई सदस्य है अलग रहता है और उसको कोई हमारा पुराना शत्रु अपने बस में करना चाहिए अपने अंदर मिलाना चाहे वहां पर वह खुद की मौजूदगी दिखाए तो ऐसा हम कैसे करने देंगे बोला कि वह हमसे अलग रहे वह बात संतुष्ट करती है कहीं ना कहीं परंतु शत्रु के साथ बैठना किसी को मंजूर नहीं होता अगर यूक्रेन यह गलती नहीं करता तो शायद उसके देश में आज भी यह हालात नहीं होते और ना ही उसके बच्चे मरते भूख से मरते ना बारूदी से मरते ना धमाकों की गूंज से मरते कहीं ना कहीं वहां का नेता भी जिम्मेवार है क्योंकि उसने दूसरे देशों की गरमा सर मैंने अपना खुद का घर उजाड़ दिया है और एक खंडहर कब्रिस्तान उजाड़ देश बना लिया है जहां पर कुछ नहीं बस टुकड़ों में पड़ी जिस्मों की माला मिलेगी |

रसिया वर्सेस नाटो

और बड़ी चालाकी से अमेरिका ने इसको वाडकराईम घोषित करना चाहा |

और आने वाली भूखमरी खाद्य समस्याओं की स्थिति को मैं सिर्फ एक अमेरिका की बेहतरीन चाल मानूंगा वही है इस सब का जिम्मेदार |