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इतनी भी क्या नफरत है आ जाओ खेलो होली।

इतनी भी क्या नफरत है            आ जाओ खेलो होली।           कुंडी लगाकर घर के अंदर, त्यौहार में क्यों सो रही....              ना पीते हैं भांग हम                      ना कोई देसी दारु                    फिर क्यो डरते हो हमसे।          ज्ञ रंगो की डरिए कैसी.....        बताओ! या फिर आओ तुम                           हैप्पी होली कह जाओ तुम... आप इनायत ऑर्गेनाइजेशन भिलाई
इतनी भी क्या नफरत है            आ जाओ खेलो होली।           कुंडी लगाकर घर के अंदर, त्यौहार में क्यों सो रही....              ना पीते हैं भांग हम                      ना कोई देसी दारु                    फिर क्यो डरते हो हमसे।          ज्ञ रंगो की डरिए कैसी.....        बताओ! या फिर आओ तुम                           हैप्पी होली कह जाओ तुम... आप इनायत ऑर्गेनाइजेशन भिलाई

आप इनायत ऑर्गेनाइजेशन भिलाई #poem