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तुम नूर हो किसी और की, मैं ख्वाब़ हुं किसी और का

तुम नूर हो किसी और की,

मैं ख्वाब़ हुं किसी और का ।

ज़ालिम जमाना है इस दौर का,

महफूज़ ठिकाना ढूंढ़ो किसी और का । #महफूज़_ढ़िकाना
तुम नूर हो किसी और की,

मैं ख्वाब़ हुं किसी और का ।

ज़ालिम जमाना है इस दौर का,

महफूज़ ठिकाना ढूंढ़ो किसी और का । #महफूज़_ढ़िकाना