||रोशनी|| तपती धूप में खुद को सुखा लाया हूँ। लो आज फिर मैं, खुदको खुद से उठा लाया हूँ। मन मे जगी ख्वाहिशो को, चाँद की रोशनी से सजा लाया हूँ। होठो में दबे दबे जज्बातों को बारिश की बूंदोसे नहा लाया हूँ। न हो अंधेरा जग मे कभी, सूरज को भी आसमान से चुरा लाया हूँ। लो आज फिर मैं , खुदको खुद से उठा लाया हूँ। Sudha Betageri #sudha Betageri