कब तक शोक मनाओगे मुरझाए कलियों पर, चलो भवरों तफरी करने रौशन गलियों पर, की यहां तो यही रीत है एक जाए तो दूजा आए, किसी खास का मातम भी चार दिन ही जाए, तुम मुस्कुराओ की मुस्कुराता तुम्हारा हृदय था, तो क्या हुआ वो चला गया जो मुझे बहुत प्रिय था। संघर्ष से भरपूर जीवन है खुशियां भी जरूरी है, ऐसे थक के क्यों बैठ गए मंजिल से अभी दूरी है, तू हर मोड़ पे खुशियां ही पाएगा उम्मीद तो जगा के रख, अपन इच्छाओं का चादर तो फैला के रखो, माना तुम्हारे लिए वो पल माननीय था, तो क्या हुआ वो चला गया जो मुझे बहुत प्रिय था। ऐ दोस्त हम हर किसी से अपना दुखड़ा गाते है, क्यूंकि हर एक कि हम खुद से जुड़ा पाते है, और हम को खुद पर नाज़ नहीं होता है, तुम कितना भी नाराज़ हो जाओ सच सच ही होता है, है तुम जो टूटकर हम सब में जिय थे, तो क्या हुआ वो चला गया जो मुझे बहुत प्रिय था। मुझे बहुत प्रिय था #प्रियथा #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #yqbhaskar