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अंतर् मेरा विकसित कर दे हे अन्तर्यामी! निर्मल कर द

अंतर् मेरा विकसित कर दे
हे अन्तर्यामी!
निर्मल कर दे,उज्ज्वल कर दे,
सुंदर कर स्वामी!

जाग्रत कर दे,उद्यत कर दे,
निर्भय कर त्राता!
मंगल,निरलस,निःसंशय कर,
हे जीवनदाता!


---गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर

©POOJA BIND #boat हे अन्तर्यामी!...
अंतर् मेरा विकसित कर दे
हे अन्तर्यामी!
निर्मल कर दे,उज्ज्वल कर दे,
सुंदर कर स्वामी!

जाग्रत कर दे,उद्यत कर दे,
निर्भय कर त्राता!
मंगल,निरलस,निःसंशय कर,
हे जीवनदाता!


---गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर

©POOJA BIND #boat हे अन्तर्यामी!...
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#boat हे अन्तर्यामी!... #मराठीकविता