अंतर् मेरा विकसित कर दे हे अन्तर्यामी! निर्मल कर दे,उज्ज्वल कर दे, सुंदर कर स्वामी! जाग्रत कर दे,उद्यत कर दे, निर्भय कर त्राता! मंगल,निरलस,निःसंशय कर, हे जीवनदाता! ---गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर ©POOJA BIND #boat हे अन्तर्यामी!...