बस एक बेरहम बारूद का टीला हैँ जिस पर मानवता लेटी हैँ औऱ आसमान की तरफ याचना करती हुईं दिख रही हैँ चारो तरफ सन्नाटा हैँ औऱ सन्नाट्टो को चीर कर कुछ मटमैले बदरंग खौफनाक चहरे डोल नगाड़े बजाते हुए प्रकट हुए हैँ बारूद के ताप पर पकी हुईं मानवता की मांसल देह को चाटने के लिए शायद यही उतसवमयी घड़ी हैँ इन दानवो के लिए.......... 6 दिसंबर की....खॉफ़नाक छाया