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उथल पुथल के बीच समंदर फिर भी मन के अंदर का खालीप

उथल पुथल के बीच समंदर  
फिर भी मन के अंदर का खालीपन 
उन्मादों का बहता प्रचंड प्रपात 
फिर भी अधरों से सन्नाटा 
संवादों के ज्वालामुख  बस खुद से
फिर भी कुछ कहने की इच्छा न हो
मकड़ जाल में बंधा परिंदा 
फिर भी उड़ पाना अब मुमकिन न हो 
 शांत चित्त,स्थिर प्रवाह, कोमल मुखस्फुट 
फिर भी कर्ममार्ग फिर से दूर तलक

©Shivam Verma
  #Likho 
संवाद जो अधर से न निकले
shivamverma2677

Shivam Verma

New Creator

#Likho संवाद जो अधर से न निकले #ज़िन्दगी

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