महंगाई छाई इस कदर की जीना दूभर हो गया एक – एक रोटी की तड़प से इंसान बेसुध हो गया सिर झुकाये इस कदर मेहनत में लीन हो गया पैसे कमाने कि लगन में इंसान बोझिल हो गया घर की झड़प में इंसान धीरज खो रहा धूप कि तड़प में खुद बेहाल हो रहा महंगाई से जूझता इंसान अब खुद पे जुल्म ढा रहा जिंदगी से गद्दारी कर मौत को गले लगा रहा अत्याचार और लूट का तांडव इंसान कर रहा एक के बाद एक गुनाह कर होंसला बुलंद कर रहा मौत को लगाया गले से जीवन से पल्ला झाड़ लिया गुनाह कर फिर खुद से जीवन का दर्पण देख लिया वाह री महंगाई वाह रे गुनाह कैसी तुमने अँधेरी दिखायी कलयुग का है ये वाकई नजारा ऐसी तुमने रीत चलायी महंगाई से जूझते इंसान ने ऐसी मार खाई की भूख की गजब तड़प ने जहान्नुम की याद दिलायी #महंगाईसेजूझताइंसान # Adv. Rakesh kumar soni CH Air😘🙏