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इंसान हो या शेर Iनिसाने पर पर खड़ा हूँ भूख किसी क

इंसान हो या शेर
Iनिसाने पर  पर खड़ा हूँ
भूख किसी की भी हो
  सूली पर चढ़ा हूँ
 जब रही है साँस
दौड़ लगाया हूँ
तीर् लगते ही
घायल गिर पड़ा हूँ
ए रब किसी का 
क्या बिगाड़ा मैंने
हरदम जमाने की
निगाहों में गड़ा हूँ
s

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
   पशु

पशु #कविता

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