दौर ऐसा आ गया है अपना, अपने को छला करेगा! बढ़ रही इस कदर दुश्मनी दोस्त, दोस्ती को खला करेगा!! मजबूरियों से लड़कर लाऊंगा ऐसे दिन तेरी महफ़िल में हमारा सिक्का चला करेगा!! अनुज बेख़बर सिक्का