गहन चिंतन, जुझारूपन, दृढ़ इच्छाशक्ति मेरी आदत बन गई, भय, आलस्य, क्रोध, निद्रा, असहिष्णुता मेरी अदावत बन गई। कुछ कर गुजरने की चाहत, हमेशा दिल में संजोये रहता था, मामूली सा ख्वाब मेरी ज़िन्दगी की, आज हक़ीक़त बन गई। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता:-133 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 4 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।