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आजम ए मोहब्बत परवाह करे कौन, गर हो अंजाम ए मोहब्ब

आजम ए मोहब्बत परवाह करे कौन,
 गर हो अंजाम ए मोहब्बत की इतनी ही परवाह तब मोहब्बत क्यों ?
कभी आग से जलाया गया,कभी दीवारों में चुनवाया गया
फिर भी न हारी मोहब्बत, जब जब इसे कसौटियों पर सजाया गया।
खाख में मिलाने की ख्वाइस कितनो ने पाली अपने जहन में 
खुद ख़ाक हो गए ,न मिटा सके एक भी कहानियां 
जो अमर हुई मोहब्बत में।

©मलंग
  #इश्क_का_अंजाम