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कल शायद फिर सितारों से लड़ा था नशे

कल    शायद       फिर    सितारों   से लड़ा  था 
नशे   में     धुत्त   चांद  ,  समंदर    में   पड़ा  था 

ले  गया  दिन  खींच के , रात का काला आंचल
जो  कितने ही  बेशकीमती सितारों से  जड़ा था 

अवाक  रह  गया  देख   के  मेरे इंतजार की हद
बरसों बाद वो  लौटा  तो  मैं मुंतजिर  खड़ा  था 

जानता   था  वो   जांबाज़  कि  मौत  यकीनी है 
फिर भी वो   भिड़ने   की  ज़िद  पे    अड़ा   था

किश्त  देते  देते उम्र निकल गई उस किसान की 
सर  पे   कर्ज़   फिर    भी  ज्यूं  का त्युं खड़ा था 

ईश्वर का  रूप  उसमें दिखता था उस फक़ीर को
नोट बांटते  निकलता मयखाने से जो बेवड़ा था

बुरे  दौर  में जो   फूल दोस्त ने खींच के मारा था 
वो   कांटे    की   तरह    मेरे   दिल  में  गढा  था 

सरसरी  निगाह  डाल   के  वो निकल गया आगे 
ता उम्र  जिसे  मिलने  का  हमें  चाव   बड़ा  था 

कब  तक  बचा रहता  ' Aashim ' भला  तू  टूटने से 
वक़्त के  हाथ  में पत्थर,  तू  पाप  का  घड़ा था #earlymorning

कल    शायद       फिर    सितारों   से लड़ा  था 
नशे   में     धुत्त   चांद  ,  समंदर    में   पड़ा  था 

ले  गया  दिन  खींच के , रात का काला आंचल
जो  कितने ही  बेशकीमती सितारों से  जड़ा था
कल    शायद       फिर    सितारों   से लड़ा  था 
नशे   में     धुत्त   चांद  ,  समंदर    में   पड़ा  था 

ले  गया  दिन  खींच के , रात का काला आंचल
जो  कितने ही  बेशकीमती सितारों से  जड़ा था 

अवाक  रह  गया  देख   के  मेरे इंतजार की हद
बरसों बाद वो  लौटा  तो  मैं मुंतजिर  खड़ा  था 

जानता   था  वो   जांबाज़  कि  मौत  यकीनी है 
फिर भी वो   भिड़ने   की  ज़िद  पे    अड़ा   था

किश्त  देते  देते उम्र निकल गई उस किसान की 
सर  पे   कर्ज़   फिर    भी  ज्यूं  का त्युं खड़ा था 

ईश्वर का  रूप  उसमें दिखता था उस फक़ीर को
नोट बांटते  निकलता मयखाने से जो बेवड़ा था

बुरे  दौर  में जो   फूल दोस्त ने खींच के मारा था 
वो   कांटे    की   तरह    मेरे   दिल  में  गढा  था 

सरसरी  निगाह  डाल   के  वो निकल गया आगे 
ता उम्र  जिसे  मिलने  का  हमें  चाव   बड़ा  था 

कब  तक  बचा रहता  ' Aashim ' भला  तू  टूटने से 
वक़्त के  हाथ  में पत्थर,  तू  पाप  का  घड़ा था #earlymorning

कल    शायद       फिर    सितारों   से लड़ा  था 
नशे   में     धुत्त   चांद  ,  समंदर    में   पड़ा  था 

ले  गया  दिन  खींच के , रात का काला आंचल
जो  कितने ही  बेशकीमती सितारों से  जड़ा था
brokenboy6934

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