तवायफ तवायफ हूं मैं, धर्म,जाति,प्रेम,विवाह,प्रणय से परे बदनाम फिर भी मांगे जाने वाली, निष्ठुर मनुष्य के जिस्म की ताप हूं मैं हां तवायफ हूं मैं। अमीर से गरीब,जवान से वृद्ध, सरकारी और सहकारी,दुकानदार और बेरोजगार सबके हवस की शांतिकर्ता हूं मैं, हां तवायफ हूं मैं। बिकती नहीं स्त्री, पर बिके जाने वाली, नीलाम होने वाली,एक स्त्री हूं मैं हां तवायफ हूं मैं। वैश्या,रण्डी,रखैल आदि उपनाम हैं मेरे मांग पर नंगी हो जाती हूं मैं, जानवर नहीं इंसान ही हूं फिर भी नोची जाती हूं मैं, हां वही तवायफ हूं मैं। क्या पुलिस,क्या वकील,क्या नेता,क्या जनता सबसे सीधा नाता है मेरा, क्या वर्दी,क्या कपड़े,क्या ड्रेस,क्या परिधान, उतरने के बाद आधिपत्य है मेरा, सभी हवसियों की मां,बहन और लुगाई हूं मैं, हां तवायफ हूं मैं। धर्म और जाति नहीं मेरी सब अपनी प्यास बुझाते हैं, मर्यादा का लोप नहीं है यहां सर्वथा स्वीकारी जाती हूं मैं हां वही तवायफ हूं मैं। तुम्हारी इच्छा पर रहती हूं मैं तुम्हारा ही काम सर्वोपरि है बीबी का सा काम है मेरा तेरे बिस्तर को गर्म करती हूं मैं हा तवायफ हूं मैं। रंगीन दुनिया की रंगीन स्त्री चांद तारों के सपने देखती हूं मैं, कर्तव्य से विमुढ़,परन्तु धकेली गई एक निर्बल और लाचार नारी हूं मैं, हां तवायफ हूं मैं। #तवायफ