दिल भी कमबख्त क्या चीज है टूट कर भी नहीं बिखरता दुबारा जुड़ जाये ऐसी नादां कोशिश ही करता रहता पर वक्त की नाड़ियों को स्थिर नहीं कर पाता इसलिए धक धक ही करता रहता धक धक