ज़ुल्म ज़िल्लत ज्यादती कबतक सहेंगी बेटियां| कबतलक यूँ आग मे जलती रहेंगी बेटियां| अब लड़ेगी जंग ये खुद ही हरिक हैवान से, इक कदम भी अब नही पीछे हटेंगी बेटियां| हाथ मे तलवार औ हर हाथ मे हाेगी कलम, जंग मैदां मे भी अब जमकर लड़ेंगी बेटियाँ|