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मुझको दीवाना करने वाले ,कहां गए? मेरा घर मयखाना क

 मुझको दीवाना करने वाले ,कहां गए?
मेरा घर मयखाना करने वाले,कहां गए ?

तेरा कहा मेरी दीवारों को रटा हुआ 
मेरी चिट्ठी अफसाना करने वाले ,कहां गए?

मय तो तेरी आंखो से छलका करता था 
मेरी आंखो को पैमाना करने वाले खा, गए?

मुझसे तो जन्मों का रिश्ता लगता था कोई 
फिर अपनों में बेगाना करने वाले, कहां गए?

बाबू ,सोना ,बेबी ये सब औरों के थे 
हर बातों में ज़ाना, ज़ाना करने वाले ,कहां गए?

©KUMAR MANI(#KM_Poetry)
  #amirkhan