कुछ नहीं कुछ नहीं मेरी जिंदगी,, तेरे बीना कुछ नहीं,,,, तेरी बातों से ही इश्क़ किया हैं,,,, तेरी साँवली सुरत को ही मन में बनाया हैं....... कुछ नहीं कुछ नहीं मेरा अस्तित्व,,, तेरे बीना कुछ नहीं,,,,, तेरी कलियों -सी मासूम मुस्कान से ही इश्क़ किया हैं,,,, तेरी शर्मिली-सी आँखों को अपनी धड़कन मे बसाया है,,, कुछ नहीं कुछ नहीं , मुझमें मेरा ,,,,तेरे बीना कुछ नही,,,,,, तेरा हर बार 'नहीं ' बोलने से इश्क़ किया हैं,,,, तेरे हाथों को थामकर बस! अपने हाथों मे लिया हैं,,,,, बहुत बहुत किया तुमसे हैं प्यार कुछ नहीं कुछ नहीं मेरी जिंदगी -तेरे बीना,,, गीता शर्मा प्रणय कुछ नहीं कुछ नहीं