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कि में बहती हुई नदी सा हुं, वो भरे हुए सागर सा ; म

कि में बहती हुई नदी सा हुं, वो भरे हुए सागर सा ; मुझे खुशी हैं वो मुझे अपने अंदर समाए हुए है ,मगर दुःख इस बात का है मेरी आजादी लुप्त है,,!

Dil se✍️

©chetan parihar
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