कमाई से सारी फुटानी है प्यारे। लगे ज़िन्दगी ये सुहानी है प्यारे। न हों जेब में एक फूटी जो कौड़ी- जहन्नुम लगे ज़िंदगानी है प्यारे। मज़ा तब ही है जब हों पॉकेट में पैसे। खिले मन तभी जब हों पॉकेट में पैसे। अधूरी रहे न कोई मन की ख्वाहिश- मुरादें मिले जब हों पॉकेट में पैसे। कमाई से ही सब कहानी है प्यारे। रुपैये की दुनिया रूहानी है प्यारे। कमाई से जब हों जमा थोड़ी पूँजी- बुढ़ापे में आती जवानी है प्यारे। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki #कमाई