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सुकूँ तो सिर्फ सुकूँ होता हैं कभी ओस में तो कभी सो

सुकूँ तो सिर्फ
सुकूँ होता हैं
कभी ओस में
तो कभी सोच में सुकून .. 
रगों में दौडता है 
नही ,  
वो दौड भाग नही जानता कोई
वो ठहरना जानता है सिर्फ .. 

घडी भर भी ठहर जाए 
तो सुकून ,
सुकूँ तो सिर्फ
सुकूँ होता हैं
कभी ओस में
तो कभी सोच में सुकून .. 
रगों में दौडता है 
नही ,  
वो दौड भाग नही जानता कोई
वो ठहरना जानता है सिर्फ .. 

घडी भर भी ठहर जाए 
तो सुकून ,