सुकूँ तो सिर्फ सुकूँ होता हैं कभी ओस में तो कभी सोच में सुकून .. रगों में दौडता है नही , वो दौड भाग नही जानता कोई वो ठहरना जानता है सिर्फ .. घडी भर भी ठहर जाए तो सुकून ,