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जाओ तुम, हम भी मिट जायें, कहीं खो जायें! इश्क़ के

जाओ तुम, हम भी मिट जायें, कहीं खो जायें! 
इश्क़ के मुग़ालते को सीने से लगा के सो जायें! 
ए, जाते जाते ज़रा अपनी ये ज़ुल्फ़ें खोल दो ना! 
इस ग़लतफ़हमी का अंजाम ही हसीन हो जाये!

©Shubhro K
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shubhrokdedas6046

Shubhro K

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