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चारों युगो मे है कैसा ये कलयुग जिस युग में बस पाप

चारों युगो मे है कैसा ये कलयुग
जिस युग में बस पाप भरा है। 
मानव ही मानव का शत्रु
भाई ही भाई को काट रहा है।। 
नारी को देखत ही मन में
जब मानव के वासना जाग रहा है।
धर्म को छोड़ अधर्म के पिछे
देखो सारा दुनिया ही भाग रहा है।।

©Anshuman Pandey
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