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घनाक्षरी छंद सिया राम मिलन पुष्प वाटिका में सिया

घनाक्षरी छंद
सिया राम मिलन

पुष्प वाटिका में सिया राम को निहार रही, 
मनोहर  रूप  राम  जी  का उन्हे भा गया। 
श्यामल  बदन  मुख  तेज देख जानकी के, 
धीरे-धीरे  प्रेम  भाव   मन   में  समा गया। 
राम जी की शौर्य गाथा सिया ने बहुत सुनी, 
नजरें  मिली  तो  मन  को  करार आ गया।  
प्रेम  में  विभोर  सिया  सुध- बुध  भूल गई, 
राम  राम    नाम  से  ह्रदय  जगमगा  गया। 
-विवेक दीक्षित "स्वतंत्र"

©Vivek Dixit swatantra
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